मेरा गाँव
मैं सात समंदर दूर , मुझे मेरा गॉंव याद आता है।
बाबा और माँ का दुलार मुझे बहुत रुलाता है।
वो गाँव के साथी, गॉंव के मेले सब छूट गए जो।
रंग अबीर औऱ गुलाल का त्योहार याद आता है।
कच्ची अमियाँ , कच्चे बेर खेल छूटे बचपन के ।
गन्ने का ताज़ा रस जिसका स्वाद भूला न जाता है।
अगर होते पंख मेरे तो उड़ जाता अपने गॉंव को।
चूम लेता उस मिट्टी को जहाँ संस्कार बोया जाता है।
अर्जुन अलाहाबादी.✍️
Aliya khan
16-Mar-2021 01:22 PM
Bahut khoob
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